चैत्र नवरात्रि 2024: कलश स्थापना मुहूर्त, पूजा-विधि, मंत्र, सामग्री

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Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है, एक बार चैत्र महीने में (मार्च-अप्रैल) और दूसरी बार शारदीय नवरात्रि के दौरान (सितंबर-अक्टूबर)।
चैत्र नवरात्रि 2024 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक मनाई जाएगी। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है।

Chaitra Navratri 2024
चैत्र नवरात्रि का महत्व:
• चैत्र नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
• यह देवी दुर्गा की शक्ति और भक्ति का त्योहार है।
• यह नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
• यह लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागृत करने का समय है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान:
• लोग देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं।
• वे उपवास रखते हैं और व्रत करते हैं।
• वे घरों और मंदिरों को सजाते हैं।
• वे विशेष भोजन बनाते हैं और प्रसाद वितरित करते हैं।
• वे गरबा और डांडिया जैसे नृत्य करते हैं।

कलश स्थापना मुहूर्त:
• प्रतिपदा तिथि: 9 अप्रैल 2024, मंगलवार
• अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक
• शुभ मुहूर्त: सुबह 6:02 बजे से 10:16 बजे तक
• अमृत सिद्धि योग: सुबह 7:32 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक
• सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 7:32 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक

पूजा-विधि:
• स्नान-ध्यान: नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें।
• पूजा-स्थान: घर के ईशान कोण में एक स्वच्छ जगह पर पूजा-स्थान तैयार करें।
• मिट्टी का कलश: मिट्टी का कलश लें और उसमें जौ, गेहूं, चना, मूंग, मसूर, धान, और चावल डालें।
• नारियल: कलश के मुख पर एक नारियल रखें और लाल कपड़े से उसे बांधें।
• पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी: कलश के चारों ओर पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी की तिथियों के अनुसार 9 पत्तियां रखें।
• देवी-देवताओं की प्रतिमाएं: कलश के पास देवी दुर्गा, गणेश जी, शिव जी, कार्तिकेय जी, और सरस्वती जी की प्रतिमाएं स्थापित करें।
• दीप प्रज्वलित: कलश के सामने एक दीप प्रज्वलित करें।
• नवग्रह पूजा: नवग्रहों की पूजा करें।
• आवाहन मंत्र: देवी दुर्गा के आवाहन मंत्र का जाप करें।
• चंडी पाठ: चंडी पाठ करें या देवी दुर्गा के स्तोत्रों का पाठ करें।
• आरती: देवी दुर्गा की आरती करें।
• प्रसाद: देवी दुर्गा को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।

मंत्र:
• आवाहन मंत्र:
ॐ जयन्ती मङ्गल काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवदुर्गा स्वाहा स्वाहा॥

• बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विचचे।

• षोडशोपचार पूजा मंत्र:
ॐ ह्रीं यै नमः। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं षोडशोपचारैः पूजयामि। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं नमः।

सामग्री:
• मिट्टी का कलश
• जौ, गेहूं, चना, मूंग, मसूर, धान, और चावल
• नारियल
• लाल कपड़ा
• 9 पत्तियां
• देवी दुर्गा, गणेश जी, शिव जी, कार्तिकेय जी, और सरस्वती जी की प्रतिमाएं
• दीप
• नवग्रहों की प्रतिमाएं
• चंडी पाठ की पुस्तक
• धूप
• दीप
• फूल
• फल
• मिठाई

ध्यान दें:
• नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करें।
• मांस, मदिरा, और तामसिक भोजन न खाएं।
• नियमित रूप से पूजा करें।
• दान-पुण्य करें।

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By Amit Singh

Amit Singh is in Freelancer since last 6 years. In the year 2016, He entered the media world. Has experience from electronic to digital media. In her career, He has written articles on almost all the topics like- Lifestyle, Auto-Gadgets, Religious, Business, Features etc. Presently, Amit Kumar is working as Founder of British4u.com Hindi web site.

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