सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध कवियित्री, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं। उन्हें “भारत की कोकिला” के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं।
सरोजिनी नायडू जीवन परिचय (Sarojini Naidu Biography in Hindi)
सरोजिनी नायडू, जिन्हें भारत कोकिला के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक प्रसिद्ध कवयित्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, और राजनीतिज्ञ थीं। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष और भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं।
मुख्य तथ्य:
• पूरा नाम: सरोजिनी नायडू (सरोजिनी चट्टोपाध्याय)
• अन्य नाम: भारत कोकिला
• व्यवसाय: कवयित्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञ
• जन्म: 13 फरवरी, 1879, हैदराबाद, भारत
• मृत्यु: 2 मार्च, 1949, लखनऊ, भारत
• राष्ट्रीयता: भारतीय
• जाति: बंगाली
• धर्म: हिंदू
• माता-पिता: वरदा सुंदरी देवी, डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
• पति: डॉ. गोविंदराजुलु नायडू (विवाहित 1897)
• बच्चे: पद्मजा, रणधीर, लीलामणि, जयसूर्य
उपलब्धियां:
• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष (1925)
• भारतीय राज्य (संयुक्त प्रांत, 1947) की पहली महिला राज्यपाल
• अपनी गीतात्मक और भावपूर्ण रचनाओं के लिए प्रसिद्ध कवयित्री
बचपन और शिक्षा:
• प्रतिभावान विद्यार्थी: सरोजिनी जी बचपन से ही प्रतिभावान विद्यार्थी थीं। उन्होंने 12 साल की उम्र में मद्रास विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
• बहुभाषी: उन्हें उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी और बंगाली भाषाओं का ज्ञान था।
• वैज्ञानिक बनने की इच्छा: उनके पिता चाहते थे कि वे वैज्ञानिक बनें, लेकिन उनकी रुचि कविता लिखने में थी।
• 1300 पंक्तियों की कविता: उन्होंने अपनी गणित की किताब में 1300 पंक्तियों की कविता लिखी, जिससे उनके पिता चकित रह गए।
• विदेश में शिक्षा: हैदराबाद के नवाब ने उन्हें विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की।
• किंग्स कॉलेज और गिरटन कॉलेज: उन्होंने लंदन के किंग्स कॉलेज और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गिरटन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।
• माता से विरासत में मिली रचनात्मकता: कविता लिखने की उनकी रुचि उन्हें उनकी माता से विरासत में मिली थी।
सरोजिनी नायडू की शादी, पति, एवं बच्चे (Sarojini Naidu Marriage, Husband and Children)
कॉलेज में प्रेम और विवाह
कॉलेज की पढ़ाई के दौरान सरोजिनी नायडू की मुलाकात डॉ. गोविंद राजुलू नायडू से हुई। दोनों एक-दूसरे के करीब आ गए और 19 साल की उम्र में, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, सरोजिनी जी ने अपनी पसंद से 1897 में डॉ. नायडू से शादी कर ली। उस समय, दूसरी जाति में शादी करना एक सामाजिक अपराध माना जाता था, लेकिन समाज की चिंता किए बिना, उनके पिता ने अपनी बेटी की शादी को स्वीकार कर लिया।
परिवार और सफलता
सरोजिनी नायडू और डॉ. नायडू के चार बच्चे हुए। उनकी बेटी पद्मजा अपनी मां की तरह कवयित्री बनीं और राजनीति में भी उतरीं। 1961 में, वे पश्चिम बंगाल की गवर्नर बनीं।
सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (Sarojini Naidu Freedom Fighter)
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
सरोजिनी नायडू 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में हुए स्वदेशी आंदोलन में शामिल हुईं। उन्होंने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद हुए असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय भाग लिया। वे 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, जो इस पद पर आसीन होने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई:
सरोजिनी नायडू महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ती थीं। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, समानता और राजनीतिक भागीदारी के लिए प्रेरित किया।
सरोजिनी नायडू राजनितिक करियर (Sarojini Naidu Politician)
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होंने 1947 से 1949 तक संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
सरोजिनी नायडू को ‘भारत की कोकिला’ क्यों कहा जाता था (Sarojini Naidu Nightingale of India)
सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” क्यों कहा जाता था?
सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” इसलिए कहा जाता था क्योंकि उनकी मधुर आवाज और प्रेरणादायक भाषण लोगों को मोहित कर लेते थे।
यहां कुछ कारण दिए गए हैं:
• मधुर आवाज: सरोजिनी नायडू की आवाज बहुत मधुर और सुरीली थी। जब वे बोलती थीं, तो लोगों को ऐसा लगता था कि वे किसी कोकिला को गाते हुए सुन रहे हैं।
• प्रेरणादायक भाषण: सरोजिनी नायडू एक उत्कृष्ट वक्ता थीं। उनके भाषण लोगों को प्रेरित करते थे और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करते थे।
• कविताएं: सरोजिनी नायडू एक प्रसिद्ध कवयित्री भी थीं। उनकी कविताओं में देशभक्ति, प्रेम और प्रकृति के प्रति प्रेम की भावनाएं व्यक्त होती हैं।
• व्यक्तित्व: सरोजिनी नायडू का व्यक्तित्व भी बहुत प्रभावशाली था। वे एक आकर्षक और करिश्माई महिला थीं।
इन सभी कारणों से, सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” के नाम से जाना जाता था।
यहां कुछ अन्य कारण भी हैं:
• उनकी भाषा: सरोजिनी नायडू अपनी भाषा के प्रयोग के लिए भी प्रसिद्ध थीं। वे अपनी बात को बहुत प्रभावशाली ढंग से कहती थीं।
• उनकी भावनाएं: सरोजिनी नायडू अपने भाषणों में बहुत भावनाएं व्यक्त करती थीं। यह लोगों को उनके साथ जुड़ने में मदद करता था।
• उनका प्रभाव: सरोजिनी नायडू का लोगों पर बहुत प्रभाव था। वे लोगों को प्रेरित कर सकती थीं और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा कर सकती थीं।
सरोजिनी नायडू भारत की एक महान नेता, वक्ता, कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्हें “भारत की कोकिला” के नाम से जाना जाता था, जो उनकी मधुर आवाज और प्रेरणादायक भाषणों के लिए प्रसिद्ध थीं.
सरोजिनी नायडू की मृत्यु (Sarojini Naidu Death)
की मृत्यु (Sarojini Naidu Death)
सरोजिनी नायडू का 2 मार्च 1949 को लखनऊ में निधन हो गया।
सरोजिनी नायडू: भारत की कोकिला – FAQ
1. सरोजिनी नायडू कौन थीं?
उत्तर: सरोजिनी नायडू भारत की स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख महिला नेता, प्रेरणादायक वक्ता और प्रसिद्ध कवयित्री थीं। उन्हें “भारत की कोकिला” के नाम से जाना जाता था।
2. सरोजिनी नायडू का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर: सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था।
3. सरोजिनी नायडू ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?
उत्तर: सरोजिनी नायडू ने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय भाग लिया, 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ीं।
4. सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” क्यों कहा जाता था?
उत्तर: सरोजिनी नायडू को उनकी मधुर आवाज और प्रेरणादायक भाषणों के लिए “भारत की कोकिला” कहा जाता था।
5. सरोजिनी नायडू का निधन कब और कहां हुआ था?
उत्तर: सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च 1949 को लखनऊ में हुआ था।